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The Last Trip

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--------------- सामने बिस्तर पर फोन रखा है. उसकी कुछ लाईट जली. शायद किसी का फोन है. पर अब किसका फोन होगा. दोस्त तो कोई है नहीं, बहन का फोन कभी दिन में आता नहीं. अक्सर शाम में या रात में ही कॉल आती है.  मुरारी अपने बिस्तर के बीच खड़ा है, दरवाजा बंद है. कमरे की लाइटें बंद हैं. बगल में फूलों का एक गुलदस्ता रखा हुआ है. किसी और ने नहीं दिए, खुद ही खरीदकर लाया था. अकेले इंडिया गेट जाना, अकेले पार्कों में घूमना, रास्तों में नाचते हुए चलना, भीड़ आते ही सर नीचे करके चुपचाप चलना, अकेले फ़िल्में देखना और कभी कभी अकेले ही ड्रिंक कर लेना. ये ही मुरारी की पिछली साल का कुल जमा इतिहास था.   मुरारी वैसे आलसी था, लेकिन कोविड के समय ऐसे हेल्थ रिपोर्टर के रूप में उभर कर सामने आया जैसे कि किसी मिशन पर हो, कोविड में आई दूसरी लहर के दौरान उसकी हेल्थ रिपोर्टिंग को अनगिनत लोगों ने सराहा. अनजान लोगों ने भी कहा- कितने साहसी हो कि अस्पतालों में रोते-बिलखते मरीजों के बीच घुस रिपोर्टिंग कर आते हो. उसकी खबरों ने न जाने कितने अस्पतालों को समय से ऑक्सीजन पहुंचवाई. फिर भी कुछ थे, जो सड़कों पर ही इलाज से पहले ...

“लड़का यादव है”

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एक लड़का था, एक लड़की थी, इंस्टाग्राम पर मिले, लड़की का ब्रेकअप हुए 2 साल हो चुका था, लड़के का ब्रेकअप अभी-अभी ही हुआ था. लड़की ने लिखा- "Hiii, बहुत खूबसूरत लिखते हो तुम"  "अच्छा तो ऊपर वाला लिखता है, जैसे तुम्हें लिख दिया है मेरे लिए, हाहाहा".  मजाक अब दोस्ती बनने को था.. प्रेम न बने इसलिए, दोनों ने तय किया कि दोस्त बनेंगे, अच्छे दोस्त, सिर्फ दोस्त ही... ऐसे समझो दोनों डर रहे हों एकदूसरे से प्रेम हो जाने से.. दोनों ने तय किया कि एनी फ्रैंक की तरह एक दूसरे को अपना सुख-दुख लिखेंगे, एनी ने डायरी में लिखा था, हम एक दूसरे के इनबॉक्स में लिखेंगे.  एनी फ्रैंक हिटलर के समय के जर्मनी में, एक यहूदी बच्ची थी, उस समय यहूदियों पर हुए जुल्म किसी से छुपे हुए नहीं थे. एनी फ्रैंक जर्मनी के ही एक अंडरग्राउंड मकान में अपने परिवार के साथ छिपकर रहती थी. सो उसका कोई दोस्त न था, न कोई क्लासमेट. महीनों से परिवार के साथ घर में कैद थी, एनी के जन्मदिन पर उसके पापा ने एक डायरी दी. एनी ने सोचा जब कोई दोस्त ही नहीं है, तो सुख दुख सुनाने के लिए क्यों न इस डायरी को ही दोस्त बना लूं. तय हुआ कि यही...